(देवेंद्र देवांगन) राजनांदगांव- मामला उमरवाही से लगे गाँव लालुटोला की है जहां पर वर्षों से शालाओं में शिक्षक की कमी से लागतार शिक्षा गुणवत्ता समाप्त होती जा रही है। लालुटोला के प्राथमिक शाला में लंबे से लगभग 70-75 विद्यार्थी ,अध्ययन रत है, लेकिन ईतने बच्चों की शिक्षा के लिए सिर्फ 2 ही स्टाफ है। बताया जाता है कि स्टाफ कुल मिलाकर 3 है परंतु 1 को यहां से हटा कर नजदीकी स्कूल में शिफ्ट कर दिया गया है। इसकी सूचना ग्रामीण लगातार जवाबदार अधिकारी और विभाग को देते रहे है परंतु इसके कोई भी असर ना विभाग को पड़ा न ही अधिकारियों को।
स्कूल की हालत यहाँ फक हो गयी है कि अब ग्रामीनो ने लगभग 8 दिन पहले जनप्रतिनिधियों ओर अधिकारी तथा विभाग को इसकी शिकायत की अधिकारियों ने 1 हफ्ते का अस्वासन दिया, परन्तु जब 1 हफ्ते में भी कोई पूछने नही आया तब ग्रामीणों के बीच नाराजगी बढ़ गयी।इनका कहना है कि अब रास्ता साफ है अब जब तक की कमी पूरी नही कि जाएगी तबतक आन्दोल का रास्ता अपनाया जाएगा। ग्रामीणों ने तय किया कि अब इस समस्या का निदान सिर्फ आंदोलन से हो सकता है। अब किसी प्रकार की कोई बात नही होगी जो भी बात होगी समस्या निराकरण के बाद होगी।
ग्रामीणों की बैठक में यह साफ हो गया कि अब सड़क की लड़ाई लड़नी पड़े तो वो लड़ने को तैयार है। यह मामला सिर्फ एक मात्र लालुटोला स्कूल का नही बल्कि क्षेत्र में ऐसे ओर भी स्कूल है जिसमे बेहद लापरवाही चल रही है। 2 वर्षों में कोरोना के चलते पूरी शिक्षा स्तर प्रभावित हुई है अब जब कोरोना से राहत मिली तो सुधार के बजाए यहाँ बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ हो रही है।