(देवेंद्र देवांगन) डोंगरगढ़- शहर व ग्रामीण अंचल में बिजली की अघोषित कटौती से आम जनता व किसान खासे परेशान है परेशानी को देखते हुए जनता कांग्रेस छत्तीसगढ(जे)के प्रदेश महासचिव व प्रदेश कोर कमेटी सदस्य नवीन अग्रवाल के नेतृत्व में लोकेश मालेकर,योगेश यादव,हिमांशु सिन्हा,घनश्याम यादव,कामेश वर्मा,मनीष साहू ने कार्यपालन अभियंता को ज्ञापन देते हुए एक हफ़्ते के अंदर समस्या दूर करने की बात कही है नवीन अग्रवाल ने कहा की कोई भी समय बिजली बंद करनें से काम-काज बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। साथ ही बारिश नहीं होनें से गर्मी भी काफी बढ़ गई है।
बिजली बंद होनें से विद्युत से चलनें बालें सभी संस्थानों में कार्य प्रभावित हो रहा है। बारिश नहीं होने से खेतों में फसल की सिंचाई के लिए मोटर पंप का उपयोग किया जा रहा है। लेकिन अंचल में अघोषित कटौती की वजह से ट्यूबवेल भी नहीं चल पा रहे है। यदि बिजली कटौती की समस्या ऐसी ही चलती रही तो हमें उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा। सप्ताह भर के भीतर व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो एक सप्ताह बाद सड़क में बैठकर विद्युत कंपनी के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।
नवीन अग्रवाल ने आगे कहाँ की डोंगरगड़ शहर सहित आसपास के क्षेत्र मे इन दिनो बिजली कटौती एवं लो-वोल्टेज की गम्भीर समस्या है। बिजली कटौती एवं लो-वोल्टेज से जहाँ एक ओर आम जनजीवन प्रभावित होता है वहीं दुसरी ओर रोपा के समय बारिश नही होने की वजह से पानी की समस्या बनी हुई है ऐसे मे बिजली कटौती एवं लो-वोल्टेज की वजह से खेतों मे पानी की पूर्ति भी नही हो पा रही है। जिससे क्षेत्र के किसान भी काफी परेशान है। इसके अलावा क्षेत्र मे बहुत से ऐसे लोग लघु उद्योग अपनी आजीविका के लिये संचालित करते हैं, लेकिन बिजली की समस्या से उनका व्यवसाय भी लगभग ठप्प पडा है। अभी के समय क्षेत्र मे बिजली की समस्या काफी गम्भीर है।
अगर इसका निराकरण जल्द से जल्द नही किया गया तो यहां के लोगों में आजीविका के लिये पलायन की स्थिति निर्मित हो सकती है। बिजली विभाग को इस बारे मे लगातार जानकारी भी दी जा रही है लेकिन बिजली विभाग के अधिकारी कर्मचारी सरकार की बिजली बिल हाफ की योजना को लगता है बिजली साफ की योजना साबित करने मे लगे हुए हैं। लगातार जानकारी दिये जाने के बाद भी बिजली विभाग द्वारा किसी प्रकार से समस्या का निराकरण करने का प्रयास नही किया गया। इस समस्या का जल्द से जल्द निराकरण नही किया गया तो क्षेत्र की जनता के साथ मिलकर सडक पर आन्दोलन करने के लिये बाध्य रहेंगे, जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।