छत्तीसगढ़- राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विशेष पिछड़ी जनजातियों के सभी युवाओ के लिए सरकारी नौकरियों की घोषणा करी थी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासी वर्ग के युवाओ के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए रविवार को घोषणा करि की छत्तीसगढ़ में विशेष पिछड़ी जनजाति के सभी पात्र युवाओं को सरकारी नौकरी दी जाएगी। मुख्यमंत्री भुपेश ने यह घोषणा जशपुर जिले के बगीचा प्रखंड में एक पहाड़ी कोरवा युवती संजू पहाड़िया द्वारा सार्वजनिक संवाद के दौरान काम की मांग करने के बाद करि थी।
घोषणा को अमल में लाया जा रहा , आदेश हुआ जा रही
आपको बता दे कि मुख्यमंत्री की घोषणा को दो दिन ही नही हुए थे कि आज छत्तीसगढ़ सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा ने जिला कलेक्टरो को जिले के विशेष पिछड़ी जनजाति के सभी शिक्षित पात्र युवाओ का सर्वे करवाकर उनको नियुक्ति दिए जाने के संबंध में आदेश जारी पत्र जारी किया गया है।
मुख्यमंत्री बघेल की घोषणा पर अमल लाते हुए सरकारी आदेश जारी किया गया है। आपको बता दे कि इसके तहत प्रदेश के विशेष पिछड़ी जनजाति के शिक्षित युवाओं को योग्यतानुसार दी जाएगी शासकीय नौकरी दी जाएगी। जानकारी अनुसार छत्तीसगढ़ में निवासरत अबूझमाड़िया, पहाड़ी कोरवा, बिरहोर, बैगा, कमार, पंडो एवं भुंजिया वर्ग के 9623 युवाओं को इससे लाभ मिलेगा।
सात आदिवासी समुदाय आती है विशेष पिछड़ी जनजाति की श्रेणी में
जब संजू ने मुख्यमंत्री से संवाद के दौरान बताया कि उन्होंने जूलॉजी में मास्टर ऑफ साइंस पास किया है और कंप्यूटर एप्लीकेशन में भी पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा भी किया है लेकिन उसके बाद भी वह बेरोजगार हैं। जिसके जवाब में मुख्यमंत्री बघेल ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी और समुदाय के अन्य योग्य उम्मीदवारों के लिए सरकारी नौकरी की व्यवस्था करि जाएगी। आपको बता दे कि छत्तीसगढ़ में कुल सात आदिवासी समुदाय विशेष पिछड़ी जनजाति की श्रेणी में आते हैं
और केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ में अबूझमाड़िया, कमर, बैगा, बिरहोर और पहाड़ी कोरवा सहित पांच आदिवासी समुदायों को विशेष दर्जा दिया था तो वही छत्तीसगढ़ सरकार ने पंडो और भुंजिया जनजातियों को भी इस सूची में शामिल किया है।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, इन समुदायों के कुल 9,623 योग्य युवाओं को राज्य में रोजगार कार्यालयों में नामांकित करवाया गया है और उन सभी युवाओ को नौकरी मिलेगी। वही एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस समुदाय को रोजगार देने के लिए सरकारी खजाने पर सालाना लगभग 346.43 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।