छत्तीसगढ़- बात है अभिमान की , छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान ? क्या प्रदेश में भी कांग्रेस के जी 23 ग्रुप का उदय हो रहा है ? सामान्यतः कांग्रेसियों में पार्टी के बेतुके निर्णयों के विरोध करने का साहस तो नहीं है लेकिन इस बार यह साहस कांग्रेस के कद्दावर विधायक रहे सीनियर कांग्रेस नेता ‘ इमरान मेमन ‘ ने दिखाया है। राज्य सभा के लिए छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के पैराशूट प्रत्याशियों को लेकर खुज्जी के पूर्व विधायक मेमन ने तीखी टिप्पणी की है।
हार निश्चित हो तो छत्तीसगढिया को बनाया जाता है बलि का बकरा
उनका कहना है कि बड़ी बात ये है छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान की लड़ाई जब राज्यसभा चुनाव में जीत निश्चित होती है तब शीर्ष नेतृत्व बाहर के लोगों को राज्यसभा भेजने के पैराशूट प्रत्याशी छत्तीसगढ़ पर थोप देता है और जब पराजय निश्चित होती है तो छत्तीसगढ़िया को बलि का बकरा बनाया जाता है। | लेखराम साहू को राज्यसभा चुनाव लड़वाना और उनकी तयशुदा हार इसका हास्यास्पद उदाहरण है । जब जीत निश्चित हो तो बाहरी उम्मीदवार मोहसिना किदवई को पुनः राज्यसभा भेज दिया जाता है परंतु छत्तीसगढ़िया छाया वर्मा को दूसरा मौका नहीं मिलता , क्यों ? जब हारना तय था तब क्यों शीर्ष नेतृत्व ने लेखराम साहू की जगह किसी बाहरी और राष्ट्रीय नेता को नहीं भेजा छत्तीसगढ़ से चुनाव लड़ने ? जब मोहसिना किदवई को दोबारा भेज सकते हैं तो छाया वर्मा को क्यों नहीं ? क्या शीर्ष नेतृत्व की , ‘ जी हुजूरी ‘ , छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान से बढ़कर है ? या छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान सिर्फ एक राजनैतिक नारा मात्र है ? जब पराजय निश्चित हो तब भी छत्तीसगढ़िया मैदान में डटा रहा और जब जीत निश्चित है तो शीर्ष नेतृत्व कहता है कि कांग्रेस पार्टी ने बहुत कुछ दिया है अब वक्त है पार्टी को देने का 4 में से 3 राज्यसभा सदस्य प्रत्याशी परदेसिया ! क्या ऐसे ही गढ़ेंगे नवा छत्तीसगढ़ ? गौरतलब है कि कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ से उत्तरप्रदेश के कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला और बिहार की रंजीत रंजन को राज्यसभा के लिए प्रत्याशी बनाया है । एडवोकेट के टी तुलसी दिल्ली से हैं।
कई नाम थे चर्चा में राज्यसभा के लिए , मगर हाईकमान के सामने सब नतमस्तक
आपको बता दे कि प्रदेश से कई नाम थे राज्यसभा के लिए प्रदेश के सीनियर नेता व मंत्री चरणदास महंत के साथ पी आर खूंटे ने भी राज्यसभा के लिए अपनी इच्छा जताई थी। इसी के साथ प्रदेश से तुलसी साहू , अजय साहू , विनोद वर्मा , डॉ राकेश गुप्ता , सतीश वर्मा , पूर्व विधायक लेखराम साहू , गिरीश देवांगन , किरणमयी नायक , बालदास , शकुन डहरिया , सतीश चंद्र वर्मा आदि के नामो की चर्चा थी। जिसके बाद पार्टी हाईकमान ने अपने निर्णय से सब पर ताला लगा दिया। हालांकि पार्टी के निर्णय के बाद प्रदेश के कई नेताओं में नाराजगी थी और कुछ ने दबी जुबान से विरोध भी किया है पर कोई आला नेतृत्व पर खुल कर सवाल नही उठा पा रहे है।