भारत के नए उपराष्ट्रपति चुने गए जगदीप धनखड़, जानिए देश के नए उपराष्ट्रपति से जुड़ी बातें व परिचय

देश– जगदीप धनखड़ देश के नए उप-राष्ट्रपति चुन लिए गए हैं। चुनाव के नतीजे आने से पहले ही उनकी जीत तय मानी जा रही थी। चुनावी समीकरण पहले ही एनडीए के पक्ष में था।
अब देश के 14वें उप-राष्ट्रपति के तौर पर एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ चुन लिये गए है।

जगदीप धनखड़ ने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 346 वोटो से हराकर इस पद पर जीत हासिल की है। उन्हें 725 में से कुल 528 वोट मिले जबकि अल्वा के हिस्से केवल 182 वोट ही पड़े। वही चुनाव के नतीजे आने से पहले ही NDA के प्रत्याशी जगदीप धनखड़ की जीत तय मानी जा रही थी। ऐसा इसलिए भी था क्योंकि दोनों सदनों में मौजूद आँकड़ों के अनुसार बहुमत के लिए करीब 388 वोट की जरूरत होती है और इस बार अकेले भाजपा के पास ही दोनों सदनों के सदस्यों को मिलाकर संख्या 390 (लोकसभा में 303 सांसद और राज्यसभा में 93 सांसद) के ऊपर थी।

वही इन सब के अलावा उन्हें बीजद, बसपा, अन्नाद्रमुक व शिवसेना जैसे अन्य दलों ने भी अपना समर्थन दीया था। इस तरह एनडीए अपने प्रत्याशी के पक्ष में 528 वोट जुटाने में सफल रही। वहीं टीएमसी के चुनाव में वोटिंग न करने से मार्गरेट अल्वा को मिले वोट और कम हो गए।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को उनके निवास में पहुचकर उनसे मुलाकात करि व उन्हें बधाई दी।

आइये जानते है कौन हैं देश के नए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भाजपा के जाट नेता जगदीप धनखड़ मूलतः राजस्थान के रहने वाले हैं। उनका जन्म झुंझुनू जिले के किठाना गाँव में सन 1951 में एक साधारण से किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई की उसके बाद उनका सेलेक्शन आईआईटी, एनडीए और आईएएस के लिए भी हुआ था। हालाँकि, उन्होंने इन सभी को ठोकर मारकर वकालत को ही चुना। धनखड़ राजस्थान बार काउंसिल के अध्यक्ष भी रहे।

इसके बाद वे राजनीति में आये और जनता दल से जुड़ गए। वर्ष 1989 में वो झुंझुनू की सीट से चुनकर सासंद बने। यहीं नहीं, 1989 से 1991 तक वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में वो केंद्रीय मंत्री के पद पर भी रहे। 1991 में जनता दल ने उनका टिकट काट दिया था इससे नाराज होकर वो कांग्रेस में चले गए। फिर 1993 में अजमेर के किशनगढ़ से चुनाव लड़कर वो विधायक बने।

हालाँकि धनखड़ को 2003 में अचानक से उन्हें कांग्रेस से नफरत सी होने लगी और वो फिर से भाजपा में शामिल हो गए। धनखड़ को सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों में से एक और राजस्थान में जाट आरक्षण दिलवाने के लिए उन्हें जाना जाता है। धनखड़ को 30 जुलाई साल 2019 में पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। अब वह देश के नए उप-राष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं।

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