छत्तीसगढ़ – कोरबा जिले के दीपका नगर पालिका में शुक्रवार को बवाल हो गया बवाल 15 करोड़ के टेंडर को हुआ। नगर पालिका परिषद् के गेट पर ही कांग्रेस की नगर पालिका अध्यक्ष संतोषी दीवान के पति जगदीश सिंह और भाजपा के नेता प्रतिपक्ष अनूप यादव के बीच जमकर मारपीट हो गई। साथ ही उनके समर्थक भी आपस में भिड़ गए जिसमे कुर्सियां, लात-घूंसे तक चले उसके बाद दोनों पक्ष थाने पहुंच गए। वहां भी दोनों पक्षों के लोगो ने काफी हंगामा किया।
दरअसल मामला नगर पालिका के अंतर्गत अलग-अलग कार्यों के लिए करीब 15 करोड़ रुपए के टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। इसी टेंडर के लिए शुक्रवार को फॉर्म लेने की आखिरी तारीख थी। जिसमे आरोप है कि पालिक अध्यक्ष संतोषी दीवान के पति जगदीश सिंह अपने समर्थकों के साथ गेट पर खड़े हो गए और ठेकेदारों को अंदर जाने से रोकने लगे। जैसे ही इसकी जानकारी नेता प्रतिपक्ष और भाजयुमो जिला महामंत्री अनूप यादव को मिली वो वहां पहुंच गए। जिसके बाद उन्होंने ठेकेदारों को रोके जाने का विरोध किया।
पालिका अध्यक्ष के पति ने पहले मारा थप्पड़…।
आरोप है कि नेता प्रतिपक्ष के विरोध के बाद अध्यक्ष पति जगदीश सिंह ने नेता प्रतिपक्ष अनूप यादव को थप्पड़ जड़ दिया। थप्पड़ की चोट से उनके कान से खून बहने लगा। जिसके बाद दोनों के समर्थक गाली-गलौज करते हुए भिड़ गए। जिसके बाद नेता प्रतिपक्ष अनूप यादव ने भी जगदीश सिंह को थप्पड़ मारे और दोनों पक्षों की ओर से लात-घूंसे और कुर्सियां चलने लगीं , एक-दूसरे के कपड़े खींचकर मारपीट करना शुरू कर दिया। यह हंगामा काफी देर तक चलता रहा।
थाने परिसर में भी चलता रहा विवाद…।
पालिका परिषद में हुए बवाल के बाद दोनों पक्ष दीपका थाने पहुंचे हुए हैं। थाने परिसर में भी उनके बिच विवाद जारी रहा और थाने में ही दोनों पक्ष एक-दूसरे को देख लेने की धमक देते रहे । आपको बता दे दीपका नगर पालिका में इस तरह टेंडर को लेकर विवाद होना, कोई नई बात नहीं है।इसके पहले भी ऐसा होता आया है। फ़िलहाल मामला कांग्रेस शासित पालिका अध्यक्ष के पति और नेता प्रतिपक्ष के बिच का है। ऐसे में पुलिस की कार्यवाही पर भी बड़ा सवाल है। इस बवाल और विवाद से क्षेत्र का राजनीतिक माहौल गर्म है।
महिला प्रतिनिधि के कार्यो में पति नहीं दे सकता दखल…।
आपको बता दे राज्य शासन की ओर से निर्वाचित महिला जन प्रतिनिधियों के कार्य में उनके पति या अन्य कोई भी रिश्तेदार या सहयोगी हस्तक्षेप नहीं कर सकता। इसके बावजूद प्रदेश के कई नगरीय निकायों से लेकर जिला व जनपद पंचायतों तक में महिला निर्वाचित जन प्रतिनिधियों के कामकाज में उनके पति-पुत्र या रिश्तेदार बराबर का हस्तक्षेप करते आ रहे हैं। जिसके कारण यही अक्सर विवाद का कारण भी बनता है।
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