छत्तीसगढ़- छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य के जंगल को बचाने के लिए पिछले 3 माह से ज्यादा धरने पर बैठे ग्रामीणों से मिलने के लिए प्रदेश के पंचायत , ग्रामीण विकास और स्वास्थ्य मंत्री टी.एस सिंहदेव पहुंचे। सरगुजा के हरिहरपुर गांव में ग्रामीणों से मुलाकात के बाद सिंहदेव ने कहा की व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है कि घने जंगलों का विनाश करके कोयला खनन नहीं होना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा अगर ग्रामीण एक राय रहे तो उनकी जमीन कोई नहीं ले सकता है। पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने आगे कहा की आज पूरी दुनिया कोयले से बिजली बनाने का विकल्प आजमा रही है।
साथ ही केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2030 तक कोयला आधारित बिजली के उत्पादन को आधा करने की प्रतिबद्धता जताई है। इस स्थिति में हसदेव जैसे विकसित जंगलों का विनाश नहीं होना चाहिए। कोयला ऐसी जगहों से भी निकाला जा सकता है जहां जंगल नही हैं , सिंहदेव ने कहा , गांव के लोग एक राय रहें तो आपकी जमीन कोई नहीं ले सकता है। फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव के आधार पर मिली वन स्वीकृति को गलत बताते हुए उन्होंने कहा , जब गांव के लोग लगातार विरोध कर रहे हैं तो इसका साफ मतलब है कि उन्होंने पहले भी खनन की सहमति नहीं दी थी। प्रशासन को इस फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव की निष्पक्ष जांच करवानी चाहिए।
गुजरात के साथ अंतराष्ट्रीय स्तर पर हो रही है हसदेव की चर्चा
मंत्री सिंहदेव ने हसदेव के लिए संघर्ष कर रहे लोगों से बात की । उन्होंने कहा , आपका आंदोलन आज सिर्फ हरिहरपुर नहीं बल्कि पूरे देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गया है। मुझे गुजरात से कांग्रेस के पदाधिकारियों ने बताया कि वहां के आदिवासी , ” हसदेव ‘ पर उनसे सवाल पूछ रहे हैं। कंपनी प्रतिनिधियों ने खदान समर्थकों से भी मिलवाया स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने हरिहरपुर की सभा में कहा , आज मैने देखा कंपनी के लोग ग्राम बासेन में खदान के समर्थन में लोगों को मुझसे मिलवाने लाए थे। उन्हें गाड़ियों में भरकर प्रभावित क्षेत्र से बाहर से लाया गया था। मुझे ठीक नही लगा और इस पर नाराजगी व्यक्त की।
आंदोलन कारी ग्रामीणों ने मंत्री से की प्रशासनिक अधिकारियों की शिकायत
घाटबर्रा के सरपंच जयनंदन पोर्ते ने कहा , अनिश्चिकालीन धरने पर बैठे हुए आज हमे 96 दिन हो गए हैं। हमारी ग्रामसभाओं के विरोध के बावजूद कोयला खनन परियोजना के कार्य को आगे बढ़ाया जा रहा है। वही हरिहरपुर के बालसाय कोर्राम ने कहा कि हम अपने जंगल – जमीन का विनाश नही चाहते है। ग्रामीणों ने कहा कि सभी गांव के सरपंच और पंच यहां मौजूद हैं , अब तक प्रशासन की ओर से किसी भी ग्रामीण से फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव की जांच हेतु बयान नही लिया गया है। और न ही जांच के लिए कोई अधिकारी गांव आया। फिर कलेक्टर कैसे कह रहे है कि जांच हो गई है और ग्रामसभा सही है। साथ उन्होंने कहा , की प्रशासन निष्पक्ष कार्यवाही नही कर रहा है ।
जाने क्या कारण है हसदेव अरण्य में हो रहे प्रदर्शन का
हसदेव अरण्य छत्तीसगढ़ के कोरबा , सरगुजा और सूरजपुर जिले के बीच में स्थित एक समृद्ध जंगल है। करीब एक लाख 70 हजार हेक्टेयर में फैला यह जंगल अपनी विविधता के लिए जाना जाता है। वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की साल 2021 की रिपोर्ट बताती है कि इस क्षेत्र में 10 हजार आदिवासी हैं । हाथी तेंदुआ , भालू , लकड़बग्घा जैसे जीव , 82 तरह के पक्षी , दुर्लभ प्रजाति की तितलियां और 167 प्रकार की वनस्पतियां पाई गई है। हसदेव को छत्तीसगढ़ का फेफड़ा भी कहा जाता है , कोरबा के कोयला खदानों और आस पास के इंडस्ट्रीज के प्रदूषण को रोकने के साथ अच्छी वायु उपलब्ध कराने में इस जंगल का बहुत बड़ा योगदान है।