(सतीश पारख) दुर्ग- जिला भाजपा अध्यक्ष जितेंद्र वर्मा ने ने जारी विज्ञप्ति में कहा कि नेशनल हेराल्ड मामला 2012 से चल रहा है, मामले में राहत पाने राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटा चुके हैं, पर वहां से कोई राहत नहीं मिली। उन्होंने कहा कि 2012 में नेशनल हेराल्ड घपला मामले में केस दर्ज हुआ था जिस पर दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा जांच के आदेश दिए गए।
आगे कहा कि जांच न हो इसके लिए राहुल गांधी, सोनिया गांधी ने हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया है पर प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए सभी उच्च न्यायालयों ने जांच को जरूरी बताया है। उलेखनीय है कि मामले में गंभीर आपराधिक और आर्थिक भ्रष्टाचार की धाराएं लगाई गई है जिसे कोर्ट ने प्रथम दृष्टया सही माना है। इस मामले में 2016 से राहुल एवं सोनिया गांधी जमानत पर हैं।
वर्मा ने आगे कहा कि 55 करोड़ के घोटाले के आरोप में राजीव गांधी की सरकार चली गई थी जबकि नेशनल हेराल्ड मामला तो 2000 करोड़ है, ये कोई मामूली मामला नहीं है, अब सभी जांच कोर्ट के आदेश से हो रही,राहुल गांधी समेत सभी कांग्रेसियों को कोर्ट पर भरोसा रखना चाहिए, परंतु दुर्भाग्य ये है कि कांग्रेसी अपने नेता को कानून से ऊपर मानने लगे हैं।
1971 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी द्वारा आचार संहिता का उल्लंघन करके चुनाव जीतने का आरोप लगा था जिसे 12 जून 1975 को सही मानते हुए इलाहबाद कोर्ट ने इंदिरा गांधी को सभी पद से अयोग्य करार दिया था, तब भी इंदिरा गांधी अपने आप को न्यायालय से ऊपर मानते हुए कोर्ट के आदेश को नहीं माना और देश को आपातकाल में झोंक दिया था।
जितेंद वर्मा ने आगे कहा कि चुनाव हारने पर चुनाव आयोग, इवीएम पर कोई जांच होने पर इडी, सीबीआई जैसी संवैधानिक संस्थाओं पर आरोप लगाना कांग्रेस के आदत में शामिल है। ऐसा कर वे अपने आप को जांच से नहीं बचा सकते। यदि राहुल एवं सोनिया गांधी निर्दोष हैं तो उन्हें जांच का सामना करना चाहिए, दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा।
कांग्रेस ये न भूले कि इस प्रकार के जांच प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी करवाए गए थे जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे, और तब उनसे 9-9 घंटे की पूछताछ हुई थी किसी ने कोई विरोध नहीं किया। कोई हंगामा नहीं किए. मोदी जी स्वयं अकेले सीबीआई के दफ्तर गए और सभी सवालों का जवाब दिया। नेशनल हेराल्ड घोटाला मामला कोर्ट में है, बेहतर होगा कांग्रेस, राहुल गांधी, सोनिया गांधी इसका सामना न्यायालयीन प्रक्रिया में करें, कथित सत्याग्रह को आड़ में सड़को पर हंगामा करने, अराजकता फैलाने से बाज आएं, ये नया भारत है, सब कुछ पारदर्शी है, सब जानता के सामने है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने इस मामले को लेकर बयान दिया है कि राहुल गांधी पर हाथ डालना मंहगा पड़ेगा यह घोर आपत्तिजनक भाषा है जो मुख्यमंत्री जैसे गरिमामयी पद पर बैठे व्यक्ति को शोभा नहीं देता।