शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना का बेहतर क्रियान्वयन भिलाई निगम द्वारा किया जा रहा है। भिलाई के चार जोन क्षेत्रों में गोधन न्याय योजना की शुरूआत की गई थी। जिसके बाद से लगातार इस योजना के क्रियान्वयन के लिये कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे जी एवं निगम आयुक्त श्री ऋतुराज रघुवंशी जी के निर्देशन में बेहतरीन कार्य होने लगे। स्व. सहायता समूह ने गोधन न्याय योजना में उम्मीद से ज्यादा अच्छा कार्य किया और 338.7 क्विंटल की मात्रा में अच्छी क्वालिटी का वर्मी कम्पोष्ट तैयार किया। अच्छी गुणवत्ता का वर्मी कम्पोष्ट तैयार होने से विक्रय में भी आसानी हुई और सारे 338.7 क्विंटल कंपोस्ट का विक्रय हो गया। प्रदेश स्तर पर संभवतः भिलाई निगम ऐसा निकाय है जिसने स्व सहायता समूह एवं साख सहकारी समिति के माध्यम से बड़ी मात्रा में तैयार पूरे वर्मी कम्पोष्ट का विक्रय कर लिया है और शासन से मिलने वाली अनुदान राशि की भी आवश्यकता महिलाओं को नहीं पड़ रही है। गोधन न्याय योजना के सफलतम क्रियान्वयन तथा नित्य नए प्रयास से महिलाये आत्मनिर्भर बन रही है। स्व. सहायता समूह की महिलाये मुनाफा के पैसे से ही गोधन न्याय योजना का सफलतम संचालन कर रही है। महिलाओं द्वारा वर्मी कम्पोष्ट की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान रखा गया, इसकी गुणवत्ता परखने समय-समय पर लैब में भी भेजा गया और इन सभी जांच में मानक स्तर का वर्मी कम्पोष्ट पाया गया। जिसके बाद से आसपास के कृषक भी खरीदी के लिये पहुंचने लगे। 105.99 क्विंटल वर्मी कम्पोष्ट केवल किसानों ने ही क्रय किया है, वहीं घरेलू उपयोग के लिये 18.71 क्विंटल वर्मी कम्पोष्ट की खरीदी शहर के रहवासियों ने की है। अन्य द्वारा 214 क्विंटल वर्मी कम्पोष्ट खरीदा गया है। उल्लेखनीय है कि गोधन न्याय योजना के सफलतम क्रियान्वयन के लिये निगम आयुक्त श्री ऋतुराज रघुवंशी जी ने लगातार गोधन केन्द्रों का निरीक्षण कर महिलाओं को प्रोत्साहित किया है, जिनके परिणाम स्वरूप महिलाये आत्मनिर्भर बन रही है।
कम लागत में अच्छा मुनाफा से महिलाएं बेहद खुश कम लागत से अच्छा मुनाफा होने पर महिलाएं बेहद खुश हैं! 338.7 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट बनाने की लागत की बात करे तो 169350 रूपये खर्च निर्माण में आया है, जबकि 318465 रूपये का विक्रय किया गया है, इसके मुताबिक शुद्ध मुनाफा 149115 रूपये होगा। यहीं नहीं गोधन न्याय योजना के हर पहलुओ पर स्व सहायता समूह की महिलाओं ने अच्छा कार्य किया है। गोधन न्याय योजना के नोडल अधिकारी श्री अशोक द्विवेदी का इसमें खासा योगदान है। जोन आयुक्त भी लगातार महिलाओं को प्रोत्साहित करते रहे है। जिसके चलते महिलाओं ने गोबर से अन्य उत्पाद तैयार करने नवाचार को अपनाया नतीजन कंडे बनाकर विक्रय करने से भी काफी राजस्व मिला 391228 रूपये के कंडे विक्रय किये गये। इसके अलावा दिया, मूर्ति, गमला, प्रतिमा इत्यादि तैयार किये इनके विक्रय से भी काफी आय की प्राप्त हुई है।