अवैध मुरुम : अहिवारा विधानसभा बन रहा अवैध खनन का गढ़ , बिना रॉयल्टी के चल रही रोज सैकड़ो गाड़िया , शासन मौन… देखे वीडियो

अहिवारा विधानसभा

अहिवारा- जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई है तब से अहिवारा विधानसभा क्षेत्र अवैध खनन माफियाओं का गढ़ बन गया है। आपको बता दे कि इनके हौसले इतने बुलंद है कि इन्हें शासन प्रशासन का कोई भय नही है। निःसंकोच होकर मनमाने तरीके से जमीन को खोद कर खाई बना रहे है खनन माफिया।

आपको बता दे कि इसकी जनप्रतिनिधियों ने इसकी शिकायत शासन प्रशासन से कई मर्तबा शिकायत करि है पर इसके बाद भी कभी इनके ऊपर ठोस कार्यवाही नही हो पाई है।

मंत्री का संरक्षण या अधिकारियों को कमीशन

आपको बता दे कि अहिवारा विधानसभा क्षेत्र के विधायक शासन में कैबिनेट मंत्री है तो वही प्रदेश के मुखिया का निवास भी अहिवारा विधानसभा में है। और रही बात जिले कि तो इनको मिला कर 4 दिग्गज कैबिनेट मंत्री इस जिले मे है। इन सब के बावजूद भी खनन माफियो के हौसले इतने बुलंद है कि इन्हें किसी का डर नही।

कुछ जनप्रतिनिधियों की माने तो खनन करने वालो में अधिकांश इन्ही की पार्टी के या फिर इनके करीबी है। जिनको कही न कही स्थानीय मंत्री का मौन समर्थन है जिस कारण से खनिज विभाग या जिला के अधिकारी कार्यवाही करने से बचते है।

तो वही कुछ का कहना है कि जब हमने इसके विरोध में विभाग के अधिकारियों से शिकायत कि तो उन्होंने सिर्फ कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति करि , उसके बाद तो उल्टे खनन माफिया बड़ी बड़ी चैन मशीन लगाकर खुदाई कर रहे है। यहाँ तक आलम यह है कि खुदाई करने की कोई समय सीमा नही है रात हो या दिन निरंतर खुदाई कर जमीन को खदान बनाये जा रहे है। जिस कारण से आस पास के लोग कहने लगे है कि हर किसी को कमीशन मिल रहा नीचे से ऊपर तक सब तक पहुच रहा जिस कारण से कोई कार्यवाही नही हो रही।

कैसे लगाते है शासन को चुना जाने बिना रॉयल्टी के मुरुम परिवहन करने वाली गाड़ियों से जब पूछा

अभी कुछ दिन पहले ही एक मीडिया कर्मी ने क्षेत्र के भ्रमण के दौरान कुछ मुरुम परिवहन करते हुए जा रही गाड़ियों को जब रोक कर उनके ड्राइवर से रॉयल्टी संबंधी जानकारी चाही तो ड्राइवर ने बताया कि कोई रॉयल्टी नही कटाई गयी है। इसी तरह उसके पीछे से एक अलग वाहन मालिक की गाड़ी आयी तो उससे भी पूछने पर ड्राइवर ने बताया कि रॉयल्टी नही कटाते है।

फिर जब ड्राइवर से थोड़ा बात कर के जानकारी ली तो नाम न छापने की शर्त पर कहा कि रोज ऐसी ही यहा से सैकड़ो मर्तबा मुरुम लोड होकर गाड़ी निकलती है। और ड्राइवर को किसी भी प्रकार का रॉयल्टी नही दिया जाता है। अगर दिया भी जाता है तो दिन में 1 बार कटी रॉयल्टी से हम कई राउंड ट्रिप लगा लिया करते है। जब उस से आगे पूछा गया कि माल कहा डंप करते हो ? तो बताया की यंही पास में रोड का काम चल रहा है तो वही सेठ बोलते है डंप करने। आगे जब उस से पूछा गया कि दिन में कितनी बार राउंड लगा लेते हो तो कहा कि 10 से ज्यादा राउंड हो जाते है। आगे कहा कि हम जितना ट्रिप लगाते है उतना ही भाड़ा हमे मिलता है। फिर जब उस से यह पूछा गया कि कभी कोई अधिकारी पकड़ता नही है क्या ? तब वह कहता है ज्यादातर अधिकारी को हमारी कंपनी का नाम पता है कुछ नही कहते हां अगर कोई नया व्यक्ति होता है तो सेठ से बात करा देते है।

तालाब बनाने के नाम पर आबंटन भूमि को बना रहे खदान

वही पोटिया गांव क्षेत्र पोटिया और कोडिया के बीच के अंतर्गत खाली जमीन में हो रही खुदाई की जानकारी ली गयी जब स्पॉट में जाकर देखा गया तो 12 से 14 फ़ीट का हाइवा अब उसे तालाब कहे या खदान में पूरी तरह से डूबा हुआ मुरुम लोड करवा रहा था। फिर वहा के कर्मचारी बेख़ौफ़ होकर खनन कर ही रहे थे। फिर वहा के सुपरवाइसर ने कहा कि हम लीगल खुदाई कर रहे है। कहा कि किसान की जमीन है उसे तालाब बना कर देने का एग्रीमेंट हुआ है सेठ के साथ। जब उस से आधिकारिक दस्तावेज दिखाने को कहा गया तो उसने परिवहन परमिशन का बुक दिखाया जिस पर मीडिया कर्मी ने कहा कि यह तो परिवहन परमिशन है मुरुम या खनिज खोदने और बेचने का नही। तो वह चुप हो गया फिर बताया कि जिला कलेक्टर से परमिशन लिया हुआ है इसकी कॉपी आप तहसीलदार से ले लेवे।

फिर इसके बाद गांव के सरपंच से दूरभाष पर बात की गई तो कहा कि किसान ने तालाब बनाने का एग्रीमेन्ट किया है इस कारण से खुदाई हो रही है। फिर जब पूछा गया कि कोई आदेश है तो कहा हां है सचिव साहब के पास आप उनसे बात कर लो , फिर जब पूछा गया कि तालाब की गहराई कितनी रहनी चाहिए तो कहा कि 5 से 6 फिट जब बोला गया कि वहा तो 12 फिट से ज्यादा गड्ढा हो गया है तो सरपंच ने कहा कि हम क्या बोले इस पर कहकर बात को टाल दिया। फिर जब पूछा गया कि जमीन किसकी है तो बताया गांव के एक व्यक्ति की है आबंटन वाली जमीन है।

ग्रामीणों ने दुर्घटना होने की जताई आशंका

वही स्थानीय ग्रामीणों ने मुरुम खुदाई से बनाए खदान में बच्चे या मवेशी के भविष्य में गिर जाने से दुर्घटना की आशंका जताई कहा कि कई बार विरोध कर चुके पर कोई सुनने वाला नही है। साथ ही कहा कि दिन भर में हजारों मर्तबा दिन रात गाड़िया निकलती है सकरी रोड है ऊपर से लोड गाड़ी आये दिन सड़क दुर्घटना का भी भय बना रहता है।

अधिकारियों से करि गयी शिकायत

वही जब मीडिया कर्मी द्वारा इसकी शिकायत खनिज विभाग के एक अधिकारी से की गई और बताया कि बिना रॉयल्टी शासन को चुना लगा रहे है और खुदाई वैध है या अवैध जब उनसे पूछा तो उन्होंने कहा की मैं चैक करवाता हु आप मुझे लोकेशन भेजो फिर उन्हें लोकेशन भेजा गया। इस बात को माह भर बीत गए पर खनन अब भी चालू है।

जानिए किन क्षेत्रो में हो रहा खनन

अहिवारा विधानसभा अंतर्गत पोटिया, कोडिया, नंदकठी, जामुल, सुरडूंग, मुरमुन्दा, गिरहोला, बासिंग, बिरेभाट, बानबरद जैसे और कई क्षेत्र है जहाँ खुलेआम खनन कार्य हो रहे है।

उठ रहे है कई सवाल

आपको बता दे कि मीडिया कर्मी की शिकायत करे 1 माह बीतने को आ रहा है पर ग्रामीणों ने बताया कि अभी भी दिन और रात लगातार खुदाई चालू है।

अब सवाल यह उठता है कि क्या इस प्रकार से खुदाई वैध है ? दूसरा क्या बिना रायल्टी की गाड़ी से परिवहन कर इसे बेचना वैध है या अवैध? तीसरा आबंटन भूमि पर अगर खुदाई का परमिशन मिल भी गया तो क्या इसका कोई माप दंड नही है?

खैर लोकल जनप्रतिनिधियों की माने तो अधिकारी क्षेत्र में सख्त नही है इस लिए खनन माफियाओं के हौसले बुलंद है। इन्हें नेताओ का संरक्षण मिल रहा है जिस कारण से कोई कार्यवाही नही हो रही।

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अवैध खनन व परिवहन

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