भिलाई में गब्बर फ़िल्म की तरह लूट रहे निजी अस्पताल , आयुष्मान कार्ड से इलाज के बाद भी ले रहे कैश, मरीज की मौत के बाद परिजनों ने थाने में करि शिकायत

दुर्ग- जिले के निजी अस्पतालों में जमकर लूट मची है। यहा मरीजो के परिजनों को मंहगे इलाज के नाम पर लूटने का खेल बदस्तूर जारी है। वही लूटने के लिए कई अस्पतालों ने आम जनो के लिए लागू की गई प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना में गोलमाल करने का तरीका भी ढूंढ निकाला है।

आपने अक्षय कुमार की फ़िल्म गब्बर देखी होगी उसी फ़िल्म की तरह ही यहां मरीजो के परिजनों से मरीज के मौत के बाद भी मोटी रकम जमा कराने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

दरअसल यह ताजा मामला भिलाई का है जहां अस्पताल प्रबंधन ने बालोद जिले के चिकलाकसा गांव से आए सोहागा बाई के परिजनों से आयुष्मान कार्ड में इलाज के नाम पर उनसे 62 हजार रुपये जमा भी कराया व ढेड़ लाख की दवाई भी ख़रीदवा ली गयी।

बालोद के चिखलाकसा से मरीज को लाये थे भिलाई

मरीज के परिवार के लोग बालोद जिले के दल्ली राजहरा क्षेत्र के चिखलाकसा गांव से बुजुर्ग महिला सोहागा बाई का इलाज करवाने के लिए उसे लेकर भिलाई पहुंचे थे। यहां के एक निजी अस्पताल ने जांच के बाद उसे एम्स के लिए रेफर किया। लेकिन इसी बीच एक एंबुलेंस चालक ने पीड़ितों को कहा कि यहा के दूसरे निजी अस्पताल में इनका इलाज हो सकता है। जिस पर परेशान परिवार उसकी बात मान गया और भिलाई के मित्तल हॉस्पिटल में मरीज को भर्ती करा दिया। जहां पर इलाज के दौरान बुजुर्ग ने दम तोड़ दिया।

एक लाख साठ हजार रुपये की खरीदी दवाई

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक परिजनों ने एम्बुलेंस चालक की सलाह पर 16 जुलाई को मरीज सोहागा बाई को भिलाई के निजी अस्पताल मित्तल हॉस्पिटल में एडमिट करा दिया। अब मरीज की मौत के बाद आरोप लगाते हुए मृतका के बेटे कमलेश ने मीडिया को बताया कि मरीज को दाखिल करते वक्त निजी अस्पताल ने कहा था कि 30 हजार रुपए तक में इनका इलाज हो जाएगा। और शेष रकम आयुष्मान योजना के तहत कार्ड से काट लेंगे। इसके बाद भी जब उन्हें भर्ती करा दिया गया तब से अब तक 1 लाख 60 हजार का दवा और 62 हजार नकद जमा करा लिया गया है। पैसा खत्म होने लगा तो परिवार के सभी लोग परेशान हो गये।

जानिए क्या है परिजनो का आरोप

परिजनों के अनुसार सोहागा बाई का इलाज शुरू करने के बाद मृत्यु होने से दो दिन पहले ही मृतिका को अचानक सीरियस कंडीशन बताकर डॉक्टरों ने उसे आईसीयू में शिफ्ट किया। जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने 16 जुलाई से लेकर 29 जुलाई तक पीड़ित परिवार से लगातार दवा व इलाज का पैसा जमा करा लिया। लेकिन इसका उन्हें कोई बिल नही दिया। लेकिन अब मरीज के मौत के बाद अस्पताल का बिल उन्हें थमा दिया। वही पीड़ित परिवार सुबह से दोपहर तक अस्पताल प्रबन्धन के सामने अपनी बात रखने की कोशिश करता रहा। पीड़ित परिवार का आरोप है कि उन्हें न तो सही बिल मिला है और न ही सही इलाज किया गया।

पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए बनाई टीम

अब इस मामले में परिजनों ने मित्तल हॉस्पिटल प्रबन्धन के खिलाफ पुलिस से शिकायत करि है , जिसके बाद पुलिस ने मर्ग कायम किया है। अब मृतिका का पीएम करने जिला स्वस्थ्य विभाग के चिकित्सकों की टीम गठित की गई है। वे पोस्ट मार्टम के बाद अपनी रिपोर्ट सौपेंगे।

Leave a Reply

error: Content is protected !!