छत्तीसगढ़- प्रदेश में काम बंद कर हड़ताल कर रहे सरकारी कर्मचारियों पर सरकार ने अब कार्रवाई करने का फैसला लिया है । इस संबंध में सरकार द्वारा एक आदेश जारी किया गया है । जिसमे ये कहा गया है कि हड़ताल के दौरान कर्मचारियों को किसी भी प्रकार का वेतन नहीं मिलेगा । इसके अलावा इनके ऊपर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी होगी ।
दरअसल बीते 25 जुलाई से पूरे प्रदेश के लाखों कर्मचारी हड़ताल पर बैठे हैं । और ये हड़ताल शुक्रवार शाम 29 जुलाई तक जारी रही । कर्मचारियों ने भत्ते की मांग को लेकर हड़ताल करि थी , मगर अब इन्हें सैलरी से ही हाथ धोना पड़ेगा । सरकार की तरफ से जारी किए गए इस आदेश में एक नियम का भी जिक्र है । जिसमें लिखा है कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम 1965 के तहत एक साथ हड़ताल करना छुट्टी लेना ये अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत आता है । ऐसा करने पर न तो छुट्टी दी जाएगी और न ही हड़ताल के दिनों का कोई वेतन कर्मचारियों को मिलेगा । इन नियमों के अनुसार छत्तीसगढ़ सामान्य प्रशासन विभाग ने कर्मचारियों पर कार्रवाई करने को कह दिया है ।
शुक्रवार को हड़ताल का आखिरी दिन था । सरकार द्वारा कार्रवाई और वेतन काटने के आदेश का कर्मचारी संगठन अब विरोध कर रहे हैं । फेडरेशन ने राज्य सरकार द्वारा 5 दिन के हड़ताल अवधि का कर्मचारियों के वेतन काटने और छुट्टी वाले आदेश को अनुचित बताया है । नेताओं ने कहा है कि आंदोलन के दौरान कर्मचारियों से संवाद करने के बजाए वेतन काटने का आदेश वार्ता के मार्ग को बाधित करने के समान हैं । इससे कर्मचारियों और आक्रोश और बढ़ेगा ।
दरअसल इस वजह से हुई थी हड़ताल ये है मांग
प्रदेश के कर्मचारी फेडरेशन के नेताओं का कहना है कि राज्य के सरकारी कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के तहत ना तो महंगाई भत्ता मिल रहा है और ना ही भाड़ा भत्ता मिल रहा है । ऐसे में हर महीने 4 से 14000 का नुकसान प्रदेश के हर कर्मचारी को हो रहा है । संगठन द्वारा लंबे समय से इसे लागू किए जाने की मांग सरकार से की जा रही थी । मगर प्रशासन के उदासीन रवैये की वजह से प्रदेश के कर्मचारी हड़ताल के लिए विवश हुए थे ।